कृषि विश्वविद्यालय के अधीन एक नए डेयरी प्रौद्योगिकी एवं कृषि अभियांत्रिकी संकाय की स्थापना की जाएगी, इसके लिए 5 करोड़ रुपए का प्रावधान किया जाता है।
- 2 लाख टन यूरिया और एक लाख टन डीएपी के अग्रिम भंडारण के लिए राज्य सरकार द्वारा 30 करोड़ रुपए का व्यय किया जाएगा।
- राज्य में सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली (ड्रिप एवं स्प्रिंकलर) की लोकप्रियता को देखते हुए 30 हजार हैक्टेयर अतिरिक्त भूमि को सूक्ष्म सिंचाई के तहत लाया जाएगा, जिसके लिए 91 करोड़ रुपए का प्रावधान प्रस्तावित है।
- उन्नत बीज की मांग को देखते हुए राजस्थान राज्य बीज निगम द्वारा प्रमाणित बीज का उत्पादन 8 लाख क्विंटल से बढ़ाकर 12 लाख क्विंटल किया जाएगा। साथ ही निगम के बीज वितरण आउटलेट स्थापित करने के लिए 200 मण्डी प्रांगणों में चरणबद्ध रूप से नि:शुल्क भूखण्ड उपलब्ध करवाए जाएंगे।
- खजूर की खेती के लिए बढ़ते रुझान तथा इससे होने वाली उच्च आय को देखते हुए आगामी 4 वर्षों में जैसलमेर, बीकानेर, बाड़मेर, जोधपुर, नागौर, चूरू, हनुमानगढ़, पाली, जालोर, सिरोही एवं झुंझुनूं आदि जिलों के 1 हजार 500 हैक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्रा को खजूर की खेती में लाया जाएगा।
- प्रदेश में किसानों को किराए पर खेती संबंधी यंत्र उपलब्ध करवाने के लिए केवीएसएस/जीएसएस के माध्यम से मांग के अनुसार 100 कस्टम हायरिंग केन्द्रों की स्थापना की जाएगी। इस पर 8 करोड़ रुपए का खर्च होगा।
- किसानों को खेत के समीप कृषि उपज विपणन की सुविधा प्रदान करने के लिए चरणबद्ध रूप से 44 नई स्वतंत्र मण्डियां पिड़ावा, डग, मनोहरथाना जिला झालावाड़, पूंगल रोड-बीकानेर, कुशलगढ़-बांसवाड़ा, छीपाबड़ौद, नाहरगढ़ एवं समरानिया जिला बारां, चौहटन, धोरीमन्ना एवं गुढ़ामलानी जिला बाड़मेर, करौली, डूंगला-चित्तौड़गढ़, डबली राठान, हनुमानगढ़ टाउन जिला हनुमानगढ़, कुम्हेर, पहाड़ी, भुसावर एवं रूपवास जिला भरतपुर, सोजत सिटी-पाली, अरनोद व धरियावद जिला प्रतापगढ, बींझबायला, देवगढ़-राजसमन्द, खण्डार-सवाई माधोपुर, सलूंबर-उदयपुर, बगरू, सांगानेर, शाहपुरा जिला जयपुर, मथानियां-जोधपुर, मोहनगढ़ व रामगढ़ जिला जैसलमेर, जायल व खींवसर जिला नागौर, टोडारायसिंह-टोंक, गुलाबपुरा-भीलवाड़ा, किशनगढ़बास, बहरोड, तिजारा, गोविन्दगढ, अलवर (फ.स.), रामगढ़ एवं बानसूर जिला अलवर एवं सांगोद-कोटा में स्थापित किया जाना प्रस्तावित है। साथ ही 100 नवीन गौण उपज मंडी समितियों की भी स्थापना जाएगी। इसके अतिरिक्त, निजी क्षेत्र में भी मंडियों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाएगा।
- किसानों की आय में वृद्धि, विपणन व्यवस्था में आधारभूत परिवर्तन, कृषि को जोखिम रहित बनाने, किसान एवं खरीददार के मध्य लाभकारी व्यवस्था स्थापित करने की दृष्टि से दो नवीन अधिनियम ‘राजस्थान राज्य कृषि उपज (संवर्द्धन एवं सरलीकरण) अधिनियम एवं राजस्थान कृषि उपज संविदा खेती एवं सेवाएं (संवर्द्धन एवं सरलीकरण) अधिनियम लाए जा रहे हैं।
सहकारिता
- ब्याज अनुदान के रूप में केन्द्रीय सहकारी बैंकों को 534 करोड़ रुपए उपलब्ध करवाए जाएंगे।
- राज्य में आगामी चार वर्षों में चरणबद्ध तरीके से 2 हजार नवीन जीएसएस का गठन किया जाना प्रस्तावित है। इसके साथ ही, आगामी वर्ष 500 चयनित पैक्स/लैम्प्स को विकसित कर इन्हें सौर ऊर्जा से जोड़ा जाएगा।
- राज्य के चयनित जीएसएस, केवीएसएस और उपभोक्ता भंडारों में कुल 130 गोदाम बनाए जाएंगे, जिन पर 22 करोड़ रुपए का व्यय किया जाना प्रस्तावित है।
पशुपालन
- प्रदेश में अनुदानित दर पर कृत्रिम गर्भाधान के लिए सोर्टेड सीमन के उपयोग की योजना प्रारम्भ की जाएगी। इस तकनीक के उपयोग से बछड़ों के बजाय बछड़ियों के पैदा होने की सम्भावना अधिक रहती है। परियोजना पर 10 करोड़ रूपए व्यय किए जाएंगे।
- पशुपालकों को नवीन तकनीकों एवं प्रबन्धन की जानकारी देने के लिए 4 हजार पशुपालकों को राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर के प्रशिक्षण केन्द्रों के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
- पशु चिकित्सालय रातानाड़ा-जोधपुर के जर्जर भवन के पुनर्निर्माण के लिए 1 करोड़ रुपए का प्रावधान प्रस्तावित है।